मालिक वेतन रोक ले तो कब कहाँ और कैसे शिकायत करें 2024:- बहुत बार ऐसा देखा गया है कि employees अपने अधिकारों को पूरी तरह से नहीं समझते हैं। Employee को hire करने वाले employer अपनी मनमर्जी के अनुसार employees से बरताव करते हैं। उन्हें किसी भी समय कंपनी से terminate कर देते हैं या फिर सैलरी देने से इनकार करते हैं। एक कर्मचारी होने के नाते आपको यह जरूर मालूम होना चाहिए कि यदि कंपनी सैलरी ना दे तो क्या करें?
भारतीय कर्मचारियों को उनके अधिकारों के प्रति सुरक्षा देने के लिए कानून व नियम बनाए गए हैं। Employment contract के तहत अपने अधिकारों को समझना जरूरी होता है। इसीलिए आज हम इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि यदि कंपनी सैलरी ना दे तो क्या करें। तो चलिए लेख को शुरू करते हैं –
Contents
- 1 सैलरी से संबंधित कानून
- 2 सैलरी भुगतान act section 4
- 3 दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम (shops and establishment act)
- 4 कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट सेक्शन 21 (contact labour act section 21)
- 5 2013 कंपनी एक्ट सेक्शन 447 (company act section 447)
- 6 औद्योगिक विवाद अधिनियम सेक्शन 33C (Industrial dispute act section 33C)
- 7 कंपनी सैलरी या वेतन का भुगतान ना दे तो क्या करें?
- 8 निष्कर्ष – कंपनी द्वारा वेतन / सैलरी न मिलने पर क्या करे
- 9 FAQ’s – सैलरी न मिलने पर क्या करें
सैलरी से संबंधित कानून
दोस्तों, सबसे पहले सैलरी से संबंधित कानून के बारे में जान लेते हैं। मजदूरी अधिनियम में दो act मुख्य रूप से शामिल है :-
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (minimum wage act)
- मजदूरी अधिनियम का भुगतान (the payment of wages act)
कर्मचारियों को उनके नियोक्ताओं द्वारा सैलरी किस प्रकार से दी जाती है, इसे नियंत्रित करने के लिए ऊपर बताए गए तो कानून प्राथमिक कानून है। हर कर्मचारी को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम में तय की गई न्यूनतम सैलरी का अधिकार होता है।
कर्मचारी जिस तरह का काम करते है उसी के मुताबिक कम से कम salary तय की गई है। यह हर राज्य में अलग-अलग हो सकती है।
वेतन भुगतान अधिनियम और दूसरे कुछ कानून, नियुक्त कर्मचारी को सैलरी समय से और सही तरीके से मिलने से संबंधित है। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी कर्मचारियों को तय की गई न्यूनतम सैलरी जरूर मिले।
यदि मजदूरी अधिनियम से संबंधित कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है तो उससे संबंधित मामलों को निपटाने के लिए सरकार द्वारा कुछ स्पेशल officers नियुक्त किए गए हैं। वे ऑफिसर्स है :-
- कर्मचारियों के comensesion या मुंहासे के लिए एक कमीशन की नियुक्ति
- एक regional labour commission का इंचार्ज
- इस प्रकार के मामलों में industrial tribunal का proceeding officer एक महत्वपूर्ण ऑफिसर होता है।
सैलरी भुगतान act section 4
इस एक्ट के अनुसार, सैलरी बहुत ज्यादा समय के लिए नहीं बल्कि एक fixed time period के लिए ही बढ़ाया जा सकता है।
दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम (shops and establishment act)
हर राज्य में मौजूद दुकानों के द्वारा दिए जाने वाले भुगतान अर्थात सैलरी से संबंधित अलग-अलग कानून और नियम होते हैं। इसे दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम कहा जाता है। मॉडल कानून अर्थात जो राज्य में बने नियमों को स्थापित करता है।
उसके अनुसार अगर कर्मचारी सामान्य से अधिक समय तक काम करता है तो उसे double मुआवजा मिलना चाहिए। अगर नियोक्ता उस स्थिति में भुगतान नहीं करता है या किसी भी कारण से विफल रहता है तो उसे ₹200000 तक का जुर्माना लग सकता है।
कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट सेक्शन 21 (contact labour act section 21)
इस एक्ट के अनुसार contactor उन कर्मचारियों को भुगतान करेगा जिन्हे उसने contract के आधार पर नियुक्त किया है। अगर वह भुगतान नहीं करता तो contract के आधार पर नियुक्त किए गए कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए प्राथमिक नियोक्ता responsible होता है।
2013 कंपनी एक्ट सेक्शन 447 (company act section 447)
इस एक्ट के अनुसार धोखाधड़ी के लिए सजा दी जाती है। यह सजा कम से कम 6 महीने और अधिक से अधिक 10 साल की हो सकती है। इसके तहत लगाए जाने वाले जुर्माने का amount धोखाधड़ी के amount से कम नहीं हो सकता और अधिक से अधिक धोखाधड़ी की राशि के तीन गुना हो सकता है।
औद्योगिक विवाद अधिनियम सेक्शन 33C (Industrial dispute act section 33C)
इस एक्ट के अनुसार, यदि किसी कर्मचारी पर पैसा बकाया होता है तो वह कोर्ट में case file कर सकता है। यदि कोर्ट में बताए गए दावे validate हो जाते हैं तो पैसे की recovery की जा सकती है
यह क्लोज़ उस स्थिति में भी लागू किया जाता है जब कर्मचारियों की मृत्यु हो जाती है और उस कर्मचारी के उत्तराधिकारियों को कंपनी के द्वारा सैलरी की प्रतिपूर्ति करनी होती है।
कंपनी सैलरी या वेतन का भुगतान ना दे तो क्या करें?
यदि कंपनी आपकी सैलरी का भुगतान न करे तो आप नीचे दिए गए कानूनी तरीके से कार्यवाही कर सकते हैं :-
1. Verification के लिए bank details और employee contract से संबंधित attorney दे। जिसमें सैलरी ना देने के परिणामों का उल्लेख करें और employer को notice भेजे।
2. सैलरी की payment ना होने पर कर्मचारी labour commision से संपर्क कर सकता है। स्थिति की जांच करने के बाद वह परिणाम पर पहुंचते हैं, परंतु यदि कोई समाधान नहीं होता है तो इस मामले को court में पेश किया जा सकता है।
3. यदि आप का मालिक आपके काम का सही वेतन ना दे रहा हो तो आप लेबर कमिश्नर के पास मामला दर्ज कर सकते हैं। अगर labour commision के द्वारा मामला सुलझाने में दिक्कत आ रही है तो औद्योगिक विवाद अधिनियम के अनुसार भी कर्मचारी केस file कर सकता है। अगर कर्मचारी को 1 साल के भीतर सैलरी नही मिलती है तो केस दर्ज किया जा सकता है, जिसे सुलझाने के लिए कोर्ट 3 महीने से अधिक समय नहीं ले सकती।
4. अधिकतर employment contract में एक arbitration clause शामिल होता है क्योंकि यह मामले को सुलझाने के लिए सबसे लोकप्रिय प्रक्रिया में से एक है। अगर किसी भी प्रकार की default या धोखाधड़ी हुई है तो arbitral tribunal मामले का फैसला कर सकता है।
5. यदि सैलरी कम से कम 1 लख रुपए या फिर अधिक से अधिक 1 करोड रुपए है तो दिवाला और शोध और क्षमता संहिता के तहत NCLT में अनुरोध किया जा सकता है।
क्वांटम मेरिट और अन्याय पूर्ण संवर्धन (quantum merit and unjust enrichment) के अनुसार यदि किसी contract में आपने किसी कर्मचारी से लाभ प्राप्त किया है तो आपका कर्तव्य बनता है कि आप उसे वापस भुगतान करें।
कर्मचारी को सैलरी का समय पर भुगतान करना नियोक्ता की जिम्मेदारी होती है क्योंकि कोई भी कंपनी या संगठन कर्मचारी की मदद के बिना विकास नहीं कर सकता।
निष्कर्ष – कंपनी द्वारा वेतन / सैलरी न मिलने पर क्या करे
दोस्तों हमें उम्मीद है कि आप ऊपर दिए गए लेख के माध्यम से आप समझ गए होंगे कि कंपनी सैलरी ना दे तो क्या करें। कर्मचारी होने के नाते आपको अपने सभी अधिकार पता होने चाहिए। आज के समय में अधिकतर youth किसी न किसी संगठन के साथ जुड़ा हुआ है। इसीलिए आप इस लेख को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा कर उन्हें उनके employment rights से अवगत करवाएं।
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FAQ’s – सैलरी न मिलने पर क्या करें
Ans. नियोक्ता से भुगतान की वसूली करने के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 33 सी के तहत केस फाइल कर सकते हैं।
Ans. Employer कर्मचारियों के performance के आधार पर वेतन नहीं रोक सकते।
Ans. कुशल श्रमिकों के लिए 18,993 रुपए और अकुशल श्रमिकों के लिए 17,234 रुपए।
Ans. लेबर कमिश्नर ऑफिस में लिखित शिकायत करें।
Ans. कर्मचारी नियोक्ता या HR डिपार्टमेंट में शिकायत पत्र भेजें। कानूनी कदम के तौर पर नियोक्ता को legal notice भेज सकते हैं।
Ans. आईपीसी की धारा 406 के तहत मुकदमा दर्ज करें।
Ans. 18001802129 / 18001804818 / 01722701373